Thursday, September 30, 2010

उफ्फ !! ये डर कब तक ?


[!] के.जी मै पढने वाले एक साल के बच्चे का सवाल था ; भैया २४ तारीख को छुट्टी है ना ?
मैंने पलट कर प्रश्न किया ,क्यों ?
उस मासूम बच्चे का जवाब था उस दिन हिन्दू मुस्लिम का दंगा होगा !

दंगा क्या होता है यह उस पांच साल के बच्चे ने कभी नहीं देखा था ,भगवान् करे कभी देखे भी नहीं !लेकिन अपने आस-पास उसने जो सुना बिना दंगे की भयावहता को जाने रोमांचित सा था !
बच्चा निश्चित तौर पर हिन्दू मुसलमान का मतलब भी सही तरीके से नहीं जानता होगा और ही दंगे की भयावहता को इसलिए वो डरा हुआ कम और रोमांचित ज्यादा लग रहा था !!

[!!] मेरा एक दोस्त है अभिनव अभी एक दिन हम बाज़ार घूमने निकले ..कुछ दूर चलकर अयोध्या के केस के बारे मै बात होने लगी उसने मुझसे पुछा भाई ! यह अयोध्या का मामला एक पख्चिए तोह नहीं आएगा !
मैंने कहा भाई फैसला तोह एक पख्चिए ही आएगा अब दो लोग आपस मै लड़ेंगे तोह कोई एक ही जीतेगा , फैसला किसी एक के पख्च मै आएगा किसी विरोध मे !
अभिनव बोला अरे जबरन का झगडा होगा उन्हें भी मस्जिद बना लेने दो ,बेवजह दंगे से क्या फायदा होगा !


!!!--ऊपर दिए गए दोनों वाकये है उस डर के जिसने अयोध्या विवाद का फैसला आने से पहले देश की जनता की दिल और दिमाग मे खौफ्फ़ और दहशत भर दी है और अकेले लोग ही क्यों केंद्र से लेकर सभी राज्य सरकार टेंशन मे है !

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आखिर कब तक हम युही खौफज़दा रहेंगे ?

आखिर कब तक हिन्दू मुस्लिम का और मुस्लिम हिन्दू का दुश्मन बना रहेगा ?

क्या भोपाल का हिन्दू अयोध्या जाकर पूजा करेगा ,क्या भोपाल का मुस्लिम अयोध्या जाकर नमाज़ अदा करेगा अगर नहीं तोह क्यों हम लड़ रहे है, डर रहे है खौफ्फ्ज़दा है ?

प्रण करे की फैसला जो भी हो हम एक है !!
सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा ,हम बुलबुले है इसके ये गुलसिता हमारा !!

"" कोई हिन्दू है कोई मुसलमान
है इंसान वही जो है इंसानियत का कदरदान "

अंकित शर्मा

Monday, September 20, 2010

यहीं पे था मेरा बचपन....................


यहीं पे था मेरा बचपन, यहीं कहीं पे था,
यहीं हंसा था,
यहीं कही पे रोया था,
यहीं दरख्तों क साये मैं,

थक क सोया था,
यहीं पे जुगनुओं से अपनी बात चलती थी,
वो हंसी जो हर पल साथ चलती थी,
यहीं पे था वो लड़कपन

यहीं कहीं पे था,
यहीं पे माँ मुझ को सीने लगाये रखती थी,
यहीं पे पापा ने इक बार कान खिंचा था,
शरारत किसी और की थी सजा मुझी थी मिली,

मैं कितनी देर खड़ा धुप मैं रहा तनहा,
तमाम यार मेरी खुश मेरी सजा पे थे ,
यहीं पे था वो लड़कपन यहीं कहीं पे था.

Monday, July 5, 2010

मोहब्बत की बारिश ....

मोहब्बत की बारिश ....
जिसे छूने की ख्वाहिश मे....
हथेलिया ...

तोह गीली हो जाती है ॥,
पर हाथ हमेशा

खाली ही रहते है...

हद

वोह जिसके लिए ....
हमने सारी हदें ..तोड़ दी
....अब वही हमसे कहती है ,
अपनी हद मै रहा करो !!!

Friday, June 18, 2010

humsafarrrr

दिल की धडकनों को एक लम्बा सब्र नहीं
शायद अब उसको मेरी कदर नहीं
हर सफ़र मै मेरा हम सफ़र था वोह
अब सफ़र तो है पर वो हमसफ़र नहीं !!!

Saturday, March 27, 2010

इन्तजार

ख्वाहिश .......

बीती रात इन्तजार बहुत लम्बा था .....अर्ज़ है !!!

के जाने कब तक तेरी तस्वीर निगाहों मे रही
हो गई भोर तेरी अक्स को तकते तकते !!!!

Thursday, March 25, 2010

तन्हा रात !!!



एक तन्हा रात में आपकी याद आई

आप के दीदार हो जाये दिल में यह उमंग जागी

तन्हाई मिटने के लिए हमने एक cigarette सुलगाई

जाने कैसे क़यामत हो गयी

के धुये ने भी आपकी तस्वीर बनायीं


कुछ किस्मत ही ऐसी रही दोस्तों,

की अब ज़िन्दगी से कोई tamanna ही नहीं,

जिसको चाहा उसे पा सका,

जो मिली उस से मोहब्बत हुई!!!!

Monday, March 22, 2010


ए दोस्त तुमसे इतनी उम्मीद रखने लगा हूँ,
गम नहीं पर ख़ुशी में तेरा साथ चाहने लगा हूँ,

मेरी इस चाहत को कभी कम होने मत देना,
गम में सही पर ख़ुशी में रोने मत देना,

किस दर्द में जलता हूँ किसी और से कहने मत देना,
क्युंकी अपनी जान से जयादा तुम्हे प्यार करने लगा हूँ,

दोस्त तुमसे इतनी उम्मीद करने लगा हूँ.......dedicated to chakresh surya

Sunday, March 21, 2010

kyu?????????????????????

वक़्त के साथ पता नहीं क्या...क्या होता है...
दोस्त बनते है बिछड़ जाते है पर एक दम से दो लोग मेरी जिंदगी मैं गए ...
और पता नहीं कब एक बहुत जरुरी हिस्सा बन गए....यहाँ एक भी पल..काटे नहीं कट ता..
दिल करता है साथ रहू ...पर कैसे दूरी बहुत है फासला भी बहुत पर है तो दोनों शानदार ...जब ये पोस्ट लिख रहा हु,..माई उन्हें बहुत मिस कर रहा हु..उन दोनों की कमी खल रही है..पर हा जिंदगी चल रही है....पर दोस्तों शायद इसे जीना नहीं कहते ...पर आज वोह साथ है क्या ये काफी नहीं !!!
थैंक्स तो फेसबुक को कहू..जो ऐसे अपनों से मिला दिया उसने ...हा उनका नाम है
" चक्रेश" [चक्कू] और "श्रेया" [khwaisssh]
...i love u..n missing u both2 much here

Tuesday, March 16, 2010

Shabnami Raat or Teri chaahat


Shabnami raat ho aur har taraf andhera ho

Ek chaadar me lipten do badan, ek tera ho ek mera ho


Mere makhmali badan mein, khushbuon ke chaman me,

Sadiyon tak wo raat chale, sadiyon duur sawera ho


Tere hothon ko jab sil doon main, apne hothon ke dhage se

Ek sannate me khamoshi se, teri bhaahon ne mujhko ghera ho


Dono lipten ek dooje me, Ik gaanth si lag jaaye badano me

Mere jism me ghar mil jaye tujhe, tere jism me mera basera ho


Dil kehta hai kuch aisa ho, tu ban jaye main,

aur main ban jaun tu Bistar per tere mere siwa

, sirf junoon or khamoshi ka dera ho


Ek chadar me lipten do badan, ek tera ho ek mera ho

Wednesday, March 10, 2010

HAWA....


Teri Taraf Uthe Hai Khuda Yeh Hath Duaaon Ke Liye,
Meri Duaa Kabhi Na Kabhi To Asar Layegi,
Es Paar Se Chal Ke Hawa Kabhi Na Kabhi To Us Paar Jayegi,

Tadaf Es Dil Mein Bhi Hai, Tadaf Us Dil Mein Bhi Hai,
Mere Dard-A-Dil Ki Dastaan, Uske Dil Ko Jaker Sunayegi,
Es Paar Se Chal Ke Hawa…………………

Khak Mein Mila De Nafrat Ko, Dil Se Mita De Nafrat Ko,
Phir Dekhna Juban Apni Her Taraf Piyar Ke Nagmen Gungunayegi,
Es Paar Se Chal Ke Hawa…………………

Sarhadoon Ki Seemaen Kab Talak Rokegi Rastaan Pyaar Ka,
Wo Din Zarur Aayega Jab Ye Sari Duniya Pyaar Ke Aage Sheesh Jhukayegi,
Es Paar Se Chal Ke Hawa…………………

Hum Bhi Musafir Zindagi Ke, Tum Bhi Musafir Zindagi Ke,
Hai Yakin Kismat Kisi Na Kisi Mood Pe To Mail Karayegi,
Es Paar Se Chal Ke Hawa………………….

Kisi Ko Halaat Ne Mara, Mujhe Zindagi Ke Sawalaat Ne Mara,
Mout Ki Chahat Thi Jab, Kya Pata Tha Zindagi Bhi Usi Waqt Aajmayegi,
Es Paar Se Chal Ke Hawa………………….

Suna Hai Logon Ne Tere Dil Mein Nafrat Bhar Di Hai, Mere Jane Ke Baad Hi Sahi, Per Kabhi Na Kabhi To Tujhe “Raj” Ki Wafa Yaad Aayegi. !! Es Paar Se Chal Ke Hawa………………….

Tuesday, March 9, 2010

खुद तलक नहीं पहुंचे

भटक के आ गए हम उस जगह शबे-हिज्राँ , जहाँ जमीं न मिले और फलक नहीं पहुंचे तेरी गिरफ़्त से छुटना ना रास आया हमें ,ऐसे आज़ाद हुए खुद तलक नहीं पहुंचे ..."

Tuesday, February 2, 2010

Na Mai Deewana ..kehti hu..Na paagal samajhti hu...


दोस्तों...आप सभी कुमार विश्वास जी से परिचित हैं और उनकी प्रसिद्ध रचना "कोई दीवाना कहता है... " से भी जिसमे नायक अपनी नायिका को अपनी विवशता समझाने का प्रयास कर रहा है....एक छोटी सी कोशिश उस नायिका की तरफ से कर रहा हूँ..आशा है आप सब को पसंद आएगी---
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न मै दीवाना कहती हूँ न तो पागल समझती हूँ
तेरी यादो को इन पैरों की अब पायल समझती हूँ
हमारे दिल की दूरी घट नहीं सकती कभी क्यूंकि
न तुम मुझको समझते हो न मै तुमको समझती हूँ

मोहब्बत एक धोका है मोहब्बत एक फ़साना है
मोहब्बत सिर्फ ज़ज्बातों का झूठा कारखाना है
बहुत रोई हैं ये आँखें मोहब्बत की कहानी पर
तभी तो जानती हैं कौन अपना और बेगाना है

समय की मार ने आँखों के सब मंजर बदल डाले
ग़म-ऐ-जज़्बात ने यादो के सारे घर बदल डाले
मै अपने सात जन्मो में अभी तक ये नहीं समझी
न जाने क्यूँ भला तुमने भी अपने स्वर बदल डाले

ये सच है की मेरी उल्फत जुदाई सह नहीं पायी
मगर महफ़िल में सबके सामने कुछ कह नहीं पाई
मेरी आँखों के साहिल में समुन्दर इस कदर डूबा
बहुत ऊंची उठीं लहरें पर बाहर बह नहीं पाई

एक ऐसी पीर है दिल में जो जाहिर कर नहीं सकती
कोई बूटी मेरे दिल के जखम अब भर नहीं सकती
मेरी हालत तो उस माँ की प्रसव-पीड़ा से बदतर है
जो पीड़ा से तो व्याकुल है मगर कुछ कर नहीं सकती

बहोत अरमान आँखों में कभी हमने सजाये थे
तेरी यादो के बन्दनवार इस दर पर लगाये थे
तुम्हारा नाम ले लेकर वो अब भी हम पे हस्ते है
तुम्हारे वास्ते जो गीत हमने गुनगुनाये थे !!

तुम्हारे साथ हूँ फिर भी अकेली हूँ ये लगता है
मै अब वीरान रातों की सहेली हूँ ये लगता है
न जाने मेरे जज्बातों की पीड़ा कौन समझेगा
मैं जग में एक अनसुलझी पहेली हूँ ये लगता है

इस दीवानेपन में हमने धरती अम्बर छोड़ दिया
उनकी पग रज की चाहत में घर आँगन छोड़ दिया
कुछ कुछ जैसे मीरा ने त्यागा अपना धन वैभव
कान्हा की खातिर ज्यूँ राधा ने वृन्दावन छोड़ दिया

ये दिल रोया पर आंसू आँख से बहार नहीं निकले
हमारे दिल से तेरी याद के नश्तर नहीं निकले
तुम्हारी चाहतो ने इस कदर बदनाम कर डाला
किसी के हो सके हम इतने खुशकिस्मत नहीं निकले


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आप सभी की प्रतिक्रिया का इंतज़ार रहेगा !!

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